नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा का महत्त्व

Date : 2024-09-24

नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा का महत्त्व

नवरात्रि में सभी हिंदू देवी शक्ति की पूजा करते हैं। उनके नौ अलग-अलग रूप हैं, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति के इन सभी अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि हर साल दो बार आती है। पहला, चैत्र माह में प्रतिपदा से शुक्ल पक्ष की नवमी तक। और दूसरा, शारदीय नवरात्रि जो प्रतिपदा से शुरू होकर आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की महानवमी को समाप्त होती है।

शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

देवी दुर्गा ने आश्विन माह में राक्षस महिषासुर पर हमला किया, नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इसलिए, नवरात्रि नौ दिनों तक मनाई जाती है। शरद ऋतु आश्विन माह से शुरू होती है। इसलिए, इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इन दिनों में माता दुर्गा की पूजा करने से आपकी इच्छाएं पूरी होती हैं और आप मानसिक रूप से भी मजबूत बनते हैं।

शारदीय नवरात्रि जगतप्रभु श्री राम से भी जुड़ी हुई है। उन्होंने रावण के साथ अंतिम युद्ध से पहले नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की थी। माता दुर्गा उनकी पूजा से प्रसन्न हुईं और उन्होंने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया। यही कारण है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम दशानन रावण का वध करने में सक्षम हुए।

नवरात्रि के दौरान नवदुर्गा पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?

ऋतु परिवर्तन:

नवरात्रि नए काम शुरू करने का सबसे अच्छा समय है। इन दिनों में मौसम बदलता है। इसलिए, मानव शरीर पर कीटाणुओं का हमला बढ़ जाता है। इसलिए, बहुत से लोग अपने शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त रखने के लिए उपवास रखते हैं। इसके अलावा, वे हवा में मौजूद कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए हवन करते हैं।

नकारात्मक ऊर्जा से दूरी:

नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की पूजा करने से आपके घर में समृद्धि और खुशियाँ आती हैं। इसके अलावा, माता दुर्गा आपके जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं। इसलिए, देवी के 51 शक्तिपीठों और सिद्धपीठों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, ताकि हर कोई उनका आशीर्वाद ले सके।

दिव्य ऊर्जा:

नवरात्रि के दौरान, ग्रहों के अद्भुत संयोग के कारण ब्रह्मांड दिव्य ऊर्जाओं से भर जाता है। आप यज्ञ, भजन पूजा, ध्यान, मंत्र जप आदि करके इन सकारात्मक ऊर्जाओं का अनुभव कर सकते हैं।

कुंडलिनी जागरण:

कुंडलिनी जागरण के लिए नवरात्रि का समय सबसे सही होता है। अगर आप अपनी कुंडली को जागृत करना चाहते हैं, तो अपनी पीठ सीधी करके बैठें और अपनी आँखें बंद करें। सीधी रीढ़ के साथ बैठने से ब्रह्मांडीय ऊर्जा आपकी ओर आकर्षित होती है। माता शक्ति के मंत्रों का जाप करें और प्रत्येक रात अपने ऊपरी चक्रों या कुणलिनी को जागृत करें।

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