नवरात्रि पूजा विधि और घटस्थापना कैसे करें ?

Date : 2024-09-24

नवरात्रि पूजा विधि और घटस्थापना कैसे करें ?

शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है। इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। इन नौ दिनों में सभी हिंदू देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। सभी भक्त नौ दिनों में अलग-अलग रंग के कपड़े पहनते हैं।

अगर आप सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करते हैं, तो वह आपके साथ रहेंगी और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी। अगर आप अपने घर पर ही देवी की पूजा करना चाहते हैं, तो आगे पढ़ें मुहूर्त, पूजा सामग्री और घटस्थापना विधि।

घटस्थापना मुहूर्त

03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक।

शारदीय नवरात्रि पूजा सामग्री

कलावा और मिठाई-फल, धूप, तेल/घी, दीपक, श्रृंगार का सामान, कपूर, मिश्री या बताशा, इलायची, लौंग, सुपारी, सुपारी, साफ चावल, नारियल, मौली, लाल कपड़ा, लाल चुनरी, जौ, मिट्टी का बर्तन, पानी से भरा कलश, देवी की मूर्ति या फोटो, फूल, कुमकुम।

कलश स्थापना के लिए सामग्री

हल्दी, थोड़ा सा अक्षत, मौली, एक मिट्टी का दीपक, लाल रंग का कपड़ा, जल, गंगाजल, जटा वाला कोयला, कलावा, मिट्टी का तारा, मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का घड़ा।

नवरात्रि पूजा विधि और घटस्थापना कैसे करें

  1. 2 अक्टूबर को घर की सफाई करें। 3 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 5:30 बजे) में उठें और साफ कपड़े पहनें।
  2. अपने पूरे घर में गंगाजल छिड़कें, जिसमें घटस्थापना या कलश स्थापना करने का स्थान भी शामिल है। मुख्य द्वार की चौखट पर आम के पत्तों की माला रखें।
  3. पूजा कक्ष में ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में एक चौकी रखें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें।
  4. अब कलश स्थापित करेंगे। सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं।
  5. तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल डालें। उस पर कलावा और मौली बांधें और फिर उसमें कुछ दूब, सुपारी और अक्षत रखें।
  6. कलश के चारों ओर आम या अशोक के पत्ते रखें।
  7. लाल कपड़े या चुनरी से नारियल लपेटकर कलश पर रखें। चुनरी में कुछ सिक्के रखें।
  8. नारियल और चुनरी को रक्षा सूत्र से बांधें।
  9. आप कलश को माता दुर्गा के ठीक सामने स्थापित कर सकते हैं। मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज और मिट्टी रखें। उसके ऊपर तांबे का कलश रखें।
  10. दुर्गा सप्तशती का पाठ करके माता दुर्गा की पूजा करें। अंत में दुर्गा आरती करें और मिठाई बांटें।

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